THE SMART TRICK OF SHIV CHAISA THAT NOBODY IS DISCUSSING

The smart Trick of Shiv chaisa That Nobody is Discussing

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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को more info पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।

अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।

जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥

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पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥

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